हर बच्चे की होगी निगरानी बाल श्रम पर प्रभावी अंकुश लगाने की पहल, दिसम्बर 2026 तक आकांक्षी जनपदों को बाल श्रम से मुक्त करने का लक्ष्य, बाल श्रमिक विद्या योजना से जुड़ेंगे सभी जिले

पंचायत स्तर पर तैयार होगा कामकाजी और प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का डाटा

हर बच्चे की होगी निगरानी बाल श्रम पर प्रभावी अंकुश लगाने की पहल

दिसम्बर 2026 तक आकांक्षी जनपदों को बाल श्रम से मुक्त करने का लक्ष्य 

बाल श्रमिक विद्या योजना से जुड़ेंगे सभी जिले


लखनऊ। श्रम विभाग ने राज्य को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त कराने के लिए चरणबद्ध रणनीति बनाई है। विभाग की इस कार्ययोजना के केंद्र में महिला एवं बाल विकास विभाग को रखा गया है जो संकटग्रस्त बच्चों की पहचान कर पुनर्वास करेगा। पंचायत स्तर पर कामकाजी बच्चों और प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का डाटा एकत्र किया जाएगा ताकि कोई भी बच्चा निगरानी से न छूटे।



सरकार का लक्ष्य है कि दिसंबर 2026 तक प्रदेश के आठ आकांक्षी जिलों बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और सोनभद्र को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा। कानपुर मंडल और देवीपाटन मंडल में भी विशेष अभियान चलाया जाएगा।

महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत वन स्टॉप सेंटर, बाल सेवा योजना और स्पॉन्सरशिप योजना जैसी योजनाओं को बाल श्रमिकों के पुनर्वासन में उपयोग में लाया जाएगा।

वन स्टॉप सेंटर अब संकट में फंसे बच्चों को न सिर्फ अस्थायी आश्रय देंगे, बल्कि उनकी पहचान, स्वास्थ्य जांच, परामर्श और समाज में पुनर्स्थापन की भी व्यवस्था करेंगे।


बाल श्रमिक विद्या योजना से जुड़ेंगे सभी जिले

बाल सेवा योजना के तहत अनाथ, परित्यक्त और संकटग्रस्त बच्चों को वित्तीय सहायता दी जाती है। योजना के तहत सरकार ऐसे बच्चों को 2500 रुपये प्रतिमाह उपलब्ध कराती है। स्पॉन्सरशिप योजना से कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों के बच्चों को प्रतिमाह सहयोग राशि दी जाती है। बाल श्रमिक विद्या योजना का विस्तार अब सभी 75 जिलों में किया जाएगा। इस योजना के तहत काम में लगे बच्चों को दोबारा शिक्षा से जोड़ा जाएगा और उन्हें छात्रवृत्ति, पुस्तकें, यूनिफॉर्म और विशेष शिक्षण सहायता दी जाएगी।



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