बदलने के नाम पर विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर जाएंगे 200 शिक्षाधिकारी
गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग की पहल
लखनऊः प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की तस्वीर बदलने के लिए राज्य सरकार ने एक अनोखी पहल की है। इसके तहत प्रदेश के 200 शिक्षा अधिकारियों की टीम देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर वहां के सरकारी स्कूलों में अपनाई गई उत्कृष्ट विधाओं (बेस्ट प्रैक्टिसेज) का अध्ययन करेगी। इस शैक्षणिक भ्रमण का मकसद उन नवाचारों को समझना और उन्हें यूपी के स्कूलों में लागू करना है, जिससे शिक्षा अधिक व्यावसायिक, रोजगारपरक, आधुनिक और छात्र-केंद्रित बन सके।
समग्र शिक्षा अभियान के तहत शुरू हो रही इस योजना में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) से लेकर शिक्षा निदेशक स्तर तक के अधिकारी शामिल होंगे। जुलाई से शुरू हो रहे इस दौरे में राज्यों में अधिकारियों की टीम बनाकर भेजी जाएंगी। वहां वे कक्षा नौ से 12 तक की शिक्षा व्यवस्था, नवाचारों, पाठ्यचर्या, शिक्षण पद्धति और बुनियादी ढांचे का बारीकी से अध्ययन करेंगे। अध्ययन के बाद अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को सौंपनी होगी, जिसके आधार पर उन उत्कृष्ट शैक्षिक विधाओं को यूपी के स्कूलों में लागू किया जाएगा।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, देश के कई राज्यों में पहले ही माध्यमिक शिक्षा को नई दिशा देने वाले प्रयोग किए जा चुके हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम चलाया जा रहा है, जिसमें ध्यान, योग और जीवन कौशल आधारित शिक्षण शामिल है। केरल में डिजिटल क्लासरूम और मुफ्त वाई फाई जैसी सुविधाएं हैं और शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है।
हरियाणा में बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है, तो तमिलनाडु में तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को मजबूती दी गई है। महाराष्ट्र ने डिजिटल लर्निंग और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्कूल शिक्षा में शामिल किया है। वहीं राजस्थान ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं की गुणवत्तापरक शिक्षा पर जोर दे रहा है। पंजाब की स्मार्ट स्कूल नीति और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता भी देशभर में सराही जा रही है।
उत्तर प्रदेश के लिए यह पहल बेहद अहम साबित हो सकती है। यदि अन्य राज्यों में शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन और प्रदेश में उसका क्रियान्वयन सही तरीके से हुआ, तो यह योजना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय बदलाव ला सकती है।
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