Postal Ballot in UP Election : क्या पोस्टल बैलेट तय करेंगे करेंगे जीत हार , जानिए पोस्टल बैलेट से ज्यादा मतदान की वजहें
पुरानी पेंशन और अन्य सर्विस मैटर कों लेकर कार्मिकों में पोस्टल बैलट के जरिए तो मतदान का उत्साह है ही लेकिन प्रदेश में हो रहे विधान सभा चुनाव में इस बार ‘नोटा’ के अलावा उम्मीदवार की जीत-हार पोस्टल बैलेट व सर्विस वोट भी तय कर सकते हैं। कोरोना महामारी के चलते बिहार और पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्य में अब हो रहे चुनावों में कोरोना संक्रमित, 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांग वोटरों को घर से पोस्टल बैलेट के जरिये मतदान की सुविधा मिली है।
इनके अलावा प्रदेश के मूल निवासी अन्य राज्यों या सीमा पर बैनात सैनिकों को सर्विस वोट तथा चुनाव ड्यूटी और आवश्यक सेवाओं में लगे वोटरों को पोस्टल बैलेट से मतदान करने की सुविधा पहले भी थी। प्रदेश विधान सभा चुनाव में पहली दफा कोविड संक्रमित, अस्सी साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांग वोटरों को घर बैठे पोस्टल बैलेट से मतदान की सुविधा मिली है।
2017 के विधान सभा चुनाव के मुकाबले इस बार अब तक हुए पहले व दूसरे चरण के मतदान में औसतन दस से बारह हजार पोस्टल बैलेट प्रत्येक चरण में ज्यादा पड़े हैं। इनके अलावा बड़ी तादाद में यूपी के मूल निवासी वह सैनिक जो अपने गृह जनपद से दूर दूसरे राज्य या सीमा पर तैनात हैं उनको इलेक्ट्रानिक माध्यम से पोस्टल बैलेट भेजे गये हैं। यह पोस्टल व सर्विस वोट इस बार मतगणना में काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
हालांकि अभी दो चरणों के ईवीएम से हो चुके मतदान के कुल प्रतिशत में इन पोस्टल बैलेट व सर्विस वोट को शामिल नहीं किया गया है। इन्हें मतगणना के समय शामिल किया जाएगा।
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